सवाल : दल बदल की राजनीति पर क्या कहेंगे ?
जवाब: दलबदल जो है आदमी की पदलिप्सा का परिणाम है, अधिकांश स्थितियों में जो दलबदल होता है वह दलबदल पद की अभिलाषा के माध्यम से किया जाने वाला दलबदल है ।जो लोग निष्ठावान होते हैं अपनी पार्टी अपने दल अपने संगठन के प्रति समर्पण का भाव होता है। और वह अपने संगठन को आगे बढ़ाने की भावना रखते हैं ,ऐसे लोग कभी दलबदल नहीं करते हैं। इसका एक उदाहरण मैं खुद हूं, मुझे अर्जुन सिंह जी से लगाकर अभी तक कई बार ऐसी परिस्थितियों का सामना करना पड़ा ,लेकिन मैं दलबदल में विश्वास नहीं करता ।जो लोग दलबदल करके आते हैं उनका एकमात्र भाव होता है कि उनके अनुरूप उन्हें कोई पद मिल जाए। इसका अभी एकमात्र उदाहरण भारतीय जनता पार्टी में ज्योतिरादित्य सिंधिया का दलबदल कर समागम हुआ है, वे 27-28 जितने भी लोग आए थे उन सब को पद मिल गए और सारे के सारे सरकार बनाकर भारतीय जनता पार्टी में सरकार बनाने में कामयाब हुए ।तो यदि दल बदल के माध्यम से सरकार बनाई जाती है तो वह प्रजातांत्रिक उद्देश्य और उसके लाक्षणिकता की पूर्ति नहीं करती है । वे अपने स्वार्थ की की पूर्ति करते हैं। जिन लोगों से हमारे वैचारिक मतभेद हुआ करते थे वह 1 दिन में कैसे परिवर्तित हो जाएंगे। बदल-बदल करने से विचारधारा कैसे समाप्त हो जाएगी ,यह सोचना काफी त्रासजनक है ..!
सवाल : वर्तमान दौर में क्या होगा ?
जवाब : दलबदल इधर से उधर उधर से इधर 1 दिन में इधर से उधर यह राजनीतिक लाभ के लिए होता है । अभी तो फिर दल बदल का मौसम आने वाला है, जैसे-जैसे चुनाव निकट आते जाएंगे वैसे वैसे इधर से उधर उधर से इधर लाभ के लिए पद अभिलाषी लोगों का सिलसिला चालू हो जाएगा ।अपने सुख की तलाश करने के लिए लोग आएंगे वे दल बदलेंगे और कई लोग तो ऐसे भी मिलेंगे जो पद की लिप्सा में उधर से इधर आए थे लेकिन पद न मिलने के कारण फिर वापस उधर दल बदल कर चले जाएंगे । यह जो "आया राम गया राम" की राजनीति है, यह प्रजातंत्र को दूषित करने के लिए है। जैसे किसी तालाब में कई बार बढ़ आ जाए तो पानी गंदला होता है, उसमें जानवर कूदने लगते हैं, गंदगी फैलाते हैं..!
विविध क्षेत्र
सत्तन गुरु उवाच
- 30 Nov 2022