सवाल : क्या आप के मतानुसार साहित्य में भी कोई गुटबाजी काम करती है ?
जवाब : देखिए मैं ऐसा मानता हूं कि साहित्य में कोई गुटबाजी नहीं है ,हां लेकिन कवि सम्मेलनों में गुटबाजी काम करती है ।साहित्य के सर्जन में गुटबाजी क्या करेगी। जो साहित्यकार है वह सोचता है समझता है जो दिखता है वह लिखता है, जो वह अनुभव करता है उसकी अभिव्यक्ति करता है ,तो साहित्य में कोई गुटबाजी नहीं होती । प्रतिवाद हो सकते हैं और उनको साहित्य की गतिविधि के हिसाब से विभाजित भी किया जा सकता है ।