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सत्तन गुरु कहिन

  • 23 Nov 2022

सवाल :आप सत्य के प्रतिनिधि है सत्य बोलने से आपको किन समस्याओं का सामना करना पड़ता है ?

जवाब: देखिए सच्चाई के लिए शास्त्रों में कहा गया है कि "सत्यम ब्रूयात "- "प्रियम ब्रूयात "  सत्य बोलो प्रिय सत्य बोलो । सत्य सत्य बोला जाए या उसे इलेक्ट्रोपैड करके बोला जाए ।लेकिन सत्य सत्य होता है,  सत्य किसी के लिए हितकर तो किसी के लिए अहितकर भी हो जाता है । सत्य बोलने वाला अंतिम विजय प्राप्त करता है और अंतिम विजय को प्राप्त करने के पीछे जो धारणा है वह लोकोक्ति में भी है , "सत्यमेव जयते"  उसको हम जीते हैं । जहां तक मेरा सत्य बोलने का सवाल है , मैंने राजनीति में बहुत नुकसान पाया है ,अभी भी पा रहा हूं । क्योंकि सच्चाई सुनने के लिए राजनीति कभी भी तैयार नहीं होती है। अपनी गलती स्वीकार करने के लिए भी राजनीतिक कभी तैयार नहीं होती है  । सच्चाई यह है कि जिन लोगों के साथ जिन सहकर्मियों के साथ मुझे आचरण करते हुए राजनीति में रमण करना था ,उन्हीं लोगों के मन में मेरे प्रति सहयोग की जो भावना होनी चाहिए थी, वह असहयोग की रही । मैं पदाभिलाषी नहीं हूं, मांगीलाल नहीं हूं, मांगना मेरी फितरत नहीं है । 
सवाल: इस परिप्रेक्ष्य में कोई घटना बतावें ?
जवाब : सत्य बोलने का परिणाम यह मिला कि जब मैं विधायक था और विधायक होने के पश्चात में मैंने जब देखा कि अपना कार्यकाल आया है । तो अपने सत्य को निरूपित करने के लिए तत्कालीन मुख्यमंत्री श्री अर्जुन सिंह जी के पास गया और मैंने उनसे कहा इंदौर जैसे महानगर में जो कि मध्य प्रदेश का सर्वाधिक राजस्व देने वाला शहर है ,ऐसे नगर में जिला चिकित्सालय नहीं है और जिला चिकित्सालय दिया जाए । उन्होंने कहा कि अगली पंचवर्षीय योजना में इस इस पर विचार कर लेंगे । मैंने उन से निवेदन किया अगली पंचवर्षीय योजना तक तो ना जाने कितने लोग बीमार  हो जाएंगे, कितने लोग विदा हो जाएंगे । इसकी व्यवस्था के लिए यदि आप संकल्पवत होते हैं तो बेहतर है अच्छा है । वह नहीं माने तब मैंने उन्हें  अनशन का घोषणा पत्र उसी समय दे दिया । शहर में आकर आसन लगाकर बैठ गया अनशन पर, मल्हारगंज में टोरी कॉर्नर पर । नगर के सारे अखबारों ने मुझे सहयोग दिया ,विभिन्न पार्टी के बुजुर्ग नेताओं ने मुझे सहयोग किया व आशीर्वाद दिया, कि बेटा तूने बहुत अच्छा विषय उठाया है । और तू इसमें सफल भी होगा । इसका परिणाम यह हुआ कि कुछ दिन बाद अर्जुन सिंह सरकार ने जिला चिकित्सालय का प्रस्ताव स्वीकृत किया और इंदौर को जिला चिकित्सालय मिला। मेरा दुर्भाग्य यह है कि मेरी सरकार ,मेरे दल की सरकार आने के बाद भी जिला चिकित्सालय के लिए व्यवस्था के लिए कोई भी कदम नहीं उठाए गए । अर्जुन सिंह सरकार ने मुझसे वादा किया था कि 300 बेड का यह अस्पताल होगा 100 बेड से इसकी शुरुआत होगी ।  मेरे दल की सरकार द्वारा एक विधायक के द्वारा लाए हुए जिला चिकित्सालय की व्यवस्था किस तरीके से करती है यह देखना है । शिवराज सिंह की तो जानकारी में भी नहीं होगा कि अस्पताल मै लेकर आया हूं । जिस वक्त यह अस्पताल मै स्वीकृत करा कर लाया उस समय शिवराज सिंह विद्यार्थी परिषद के एक कार्यकर्ता के रूप में थे ।