इंदौर। सराफा में बाल श्रम का मामला सामने आया है। इसमें छोटे बच्चों से 12 घंटे डिजाइन संबंधी काम लिया जा रहा था। सूचना मिलने के बाद प्रशासन की टीम ने यहां पहुंची और अलग-अलग दुकानों पर काम कर रहे 6 बच्चों को मुक्त किया। इन्हें शेल्टर होम भेजा गया है। मामले में बाल कल्याण समिति बच्चों के बयान लेगी। इसके बाद संबंधितों के खिलाफ श्रम विभाग द्वारा कार्रवाई की जाएगी।
कार्रवाई बुधवार देर रात की है। चाइल्ड लाइन को सूचना मिली थी कि धान गली, सराफा में पश्चिम बंगाल के बच्चों को बुलाकर यहां जेवरातो की डिजाइन के लिए कारीगरी कराई जाती है जो देर रात तक चलता है। इस पर महिला बाल विकास विभाग जिला कार्यक्रम अधिकारी रामनिवास बुधौलिया व असिस्टेंट कमिश्नर मेघना भट्ट नेतृत्व में पुलिस प्रशासन, विशेष किशोर पुलिस इकाई, संस्था ‘आस’ व कैलाश सत्यार्थी चिल्ड्रन फाउंडेशन द्वारा छानबीन की गई। यहां अलग-अलग स्थानों पर 6 बच्चे काम करते पाए गए। इनकी उम्र 14 से 17 वर्ष के बीच है।
पूछताछ में उन्होंने बताया कि सराफा में जहां भी काम होता है वहां संबंधित कारीगरों द्वारा उन्हें बुलाया जाता है। इसके लिए उन्हें 5 से 8 हजार रु. प्रति माह दिया जाता है तथा वे यहां 12 घंटे काम करते हैं। इस पर उन्हें वहां से मुक्त कर शेल्टर होम भेजा गया। फिर इन्हें बाल कल्याण समिति के समक्ष पेश किया गया। अभी इन बच्चों से पूरी तरह पूछताछ नहीं हुई है लेकिन पता चला है कि सराफा की छोटी-छोटी गलियों जिसमें अलग-अलग बिल्डिंग हैं यहां ये बच्चे दुकानों पर काम करते हैं। पूरी छानबीन के बाद श्रम विभाग द्वारा संबंधितों के खिलाफ एफआईआर दर्ज करवाई जाएगी। इंदौर चांदी-सोना जवाहरात एसोसिएशन के मंत्री अविनाश शास्त्री ने बताया कि सराफा में जितनी भी दुकानें हैं कहीं भी 18 वर्ष से कम उम्र के लेबर या कर्मचारी नहीं हैं। ये कारीगरों से जुड़ा मामला है। इनमें सराफा के किसी भी दुकानदार का कोई लेना-देना नहीं है।
इंदौर
सराफा 6 बच्चों को मुक्त कराकर शेल्टर होम भेजा
- 24 Nov 2023