नई दिल्ली . चीन से सीमा विवाद हो या कोरोना संकट. पीएम नरेंद्र मोदी अपने नेतृत्व के बलबूते एक राजनेता के तौर पर और मजबूत होकर उभरे हैं. लेकिन कुछ जगहों पर अभी भी पीएम मोदी को वैसी लोकप्रियता हासिल नहीं हुई, जैसी दूसरी जगहों पर मिली. फिर चाहे वो दक्षिण भारत हो या फिर मुस्लिम वर्ग. ऐसे में इस पर देश का मिजाज यानी मूड ऑफ द नेशन (MOTN) क्या रहा, इसे जानने के लिए आजतक के लिए कार्वी इनसाइट्स लिमिटेड ने सर्वे किया.
सर्वे के परिणामों के मुताबिक, पीएम मोदी और बीजेपी से दक्षिण भारत उतना प्रभावित नहीं दिखता है, जितना देश के बाकी हिस्से दिखाई पड़ते हैं. दक्षिण भारत में पीएम मोदी की लोकप्रियता सबसे कम है. यहां केवल 63 फीसदी लोगों ने उन्हें पसंद किया.
पीएम मोदी और NDA के लिए यह भी चिंता का विषय होना चाहिए कि मुसलमान अभी भी उनके प्रदर्शन से नाखुश हैं. अन्य समुदायों के मुकाबले मुस्लिम समुदाय से सरकार को बहुत कम रेटिंग मिली है. सिर्फ 38% मुसलमानों ने उन्हें पॉजिटिव रेटिंग दी.
पीएम मोदी को दोबारा सत्ता में लाने के लिए बीजेपी का हिंदुत्व का एजेंडा काम आया, जिसे RSS ने भी खूब सपोर्ट किया. सर्वे के मुताबिक, लोग मोदी सरकार के कार्यकाल की दो सबसे बड़ी उपलब्धियां सुप्रीम कोर्ट द्वारा अयोध्या में राम मंदिर के निर्माण का फैसला और कश्मीर में धारा-370 को रद्द करने का फैसला मान रहे हैं. ये दोनों ही मुद्दे बीजेपी और संघ परिवार के लिस्ट में काफी समय से शामिल थे.
फिलहाल, सर्वे के हिसाब से पीएम मोदी को राजनीतिक तौर पर कोई खतरा नहीं है. एक्सपर्ट का कहना है कि पीएम मोदी की लोकप्रियता अब मुद्दों से निर्धारित नहीं होती है. धारा-370 को रद्द करना हो या पाकिस्तान के बालाकोट में जवाबी हवाई हमले का आदेश देना हो, इन सबसे उनकी छवि मजबूत नेता के तौर पर बनी है. सर्वे में 38% लोगों ने कहा कि नरेंद्र मोदी को भारत के अगले प्रधानमंत्री के रूप में वापस आना चाहिए.
credit- aajtak.in
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सर्वे : पीएम मोदी को राजनीतिक तौर पर कोई खतरा नहीं, लेकिन दक्षिण भारत में लोकप्रियता कम
- 22 Jan 2021