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इंदौर

हेमू ठाकुर रिमांड पर, फरारी कहां काटी पता करेगी पुलिस

  • 09 Mar 2022

इंदौर।  शराब के अवैध कारोबार से जुड़े हेमू ठाकुर को पुलिस ने जिला कोर्ट के 10 नम्बर कोर्ट में पेश किया। कोर्ट ने आरोपी को 5 दिन की रिमांड पर पुलिस को सौंपा है। पुलिस इस दौरान फरारी के दौरान हेमू की मदद करने वालों का पता लगाएगी। अर्जुन ठाकुर को गोली मारने के बाद हेमू की इंदौर से भागने में किस-किस ने मदद की इसकी जानकारी भी पुलिस जुटा रही है।
पुलिस ने हेमू ठाकुर को लसूडिय़ा से पकड़ा था। हेमू दोबारा नेपाल भागने की फिराक में था। पुलिस हेमू से पूछताछ कर रही हे कि वह इंदौर से फरारी के दौरान कहां-कहां रहा। मोबाइल की कॉल डिटेल भी निकाली जा रही है। आरोपी हेमू के पहले के कई गंभीर अपराध दर्ज है और उसका कई गैंग के बदमाशों से सम्पर्क है। पुलिस की माने तो हेमू ठाकुर बाणगंगा का रहने वाले कोई कई वर्षो से अवैध शराब के धंधे में लिप्त है। सोमवार रात जैसे ही क्राइम ने हेमू को पुलिस को सौंपा उसे इंदौर के नामचीन गुंडे सतीश भऊ की याद दिलाई। हेमू ने कहा मुझे ये पता होता तो गोलीकांड नहीं करता। अर्जुन ठाकुर गोलीकांड में चिंटू ठाकुर, सतीश भाऊ, गोविंद गहलोत, पप्पू और प्रमोद पकड़े जा चुके हैं। आरोपियों ने 19 जुलाई 2021 को दिनदहाड़े विजय नगर की स्कीम-74 स्थित शराब ठेकेदारों के सिंडिकेट ऑफिस में गोलियां चलीं थी। इसमें अर्जुन ठाकुर घायल हो गया था। पिछले वर्ष 2020 व 2021 में शराब ठेकेदारों को करोड़ों का नुकसान हुआ था। इंदौर के बड़े शराब माफिया पिंटू भाटिया ने इस घाटे को रिकवर करने के लिए रमेशचंद्र राय और मनोज नामदेव को सिंडिकेट में शामिल किया। इस सिंडिकेट में 32 अलग-अलग पार्टनर हैं। जिन्होंने 980 करोड़ रुपए में इंदौर जिले का ठेका लिया है। इनमें पिंटू भाटिया 25त्न, रमेश चंद्र राय 25त्न, मनोज नामदेव 11त्न और अर्जुन ठाकुर 7त्न का पार्टनर है। बाकी अन्य छोटे शराब ठेकेदार हैं। जो दो से तीन प्रतिशत की पार्टनरशिप में इस सिंडिकेट से जुड़े हुए हैं। पिछले वर्ष शराब दुकानों में घाटा होने के बाद 6त्न व 7त्न के हिस्सेदार रिंकू भाटिया और मोनू भाटिया ने अपना शेयर हटा लिया था। इसके बाद इंदौर की व्यवस्था गड़बड़ा गई थी। इंदौर में व्यवसाय ठप होने लगा था, जिसके बाद पिंटू भाटिया ने शराब के सप्लायर एके सिंह, झाबुआ के अल्पेश और धार के नन्हे सिंह को इस शराब सिंडिकेट से जोड़ा था। वर्तमान सिंडिकेट में बड़े नामों का हिस्सा लगभग 70त्न है, वहीं छोटे ठेकेदारों का 30त्न है। छोटे ठेकेदारों को मुनाफा ना देना पड़े, इस कारण से एक बार डराकर सभी बड़े पार्टनर इस पूरे सिंडिकेट पर कब्जा करना चाहते थे।