मां अहिल्या की नगरी के प्राचीन मंदिरों में उमड़ता है भक्तों का सैलाब
इंदौर। रामभक्त भगवान हनुमानजी का जन्मोत्सव पूरे देश में हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है। पूरे देश के साथ ही इंदौर में भी इस दिन मंदिरों में विशेष पूजन-अर्चन और भगवान के चोला चढ़ाकर आकर्षक श्रृंगार किया जाता है। बहुत ही कम लोग जानते हैं कि मां अहिल्या की पावन नगरी कहलाने वाले इस शहर के हनुमान मंदिरों की ख्याति पूरे देश में है। शहर और इसके आसपास स्थित इन मंदिरों में दर्शनों के लिए भक्तों का सैलाब उमड़ता है। दो साल से कोरोना महामारी के चलते कई तरह की पाबंदियों के चलते शहर में इस दिन भंडारे या अन्य बड़े आयोजन नहीं हो सके, लेकिन अब जब सब कुछ सामान्य है और कोरोना का भी भय नहीं है, तो इस वर्ष बड़े ही हषोल्लास से भगवान हनुमानजी का जन्मोत्सव शहर में मनाया जाएगा। इस अवसर पर डिटेक्टिव ग्रुप शहर के खास हनुमान मंदिरों की जानकारी से अवगत करा रहा है।
प्रसिद्ध हैं रणजीत हनुमानजी
केवल इंदौर ही नहीं, बल्कि पूरे मध्यप्रदेश और देश में रणजीत हनुमान मंदिर प्रसिद्ध है। वर्ष 1907 में जब गुमाश्ता नगर क्षेत्र में बसाहट नहीं हुई थी, वहीं पहलवानी का शौक रखने वाले अल्हड़सिंह भारद्वाज हनुमानजी के उपासक थे। उन्होंने तब इस वीरान जंगल क्षेत्र में पतरे की ओट लगाकर हनुमानजी की प्रतिमा स्थापित कर दी और छोटा-सा अखाड़ा बना दिया। इस तरह रणजीत हनुमान मंदिर अस्तित्व में आया। इस मंदिर से जुड़े अनगिनत किस्से हैं। रामनवमी और हनुमान जयंती पर यहां विशेष श्रृंगार, अनुष्ठान, पूजा-पाठ और आरती की जाती है और वर्ष भर में एक बार हनुमान अष्टमी पर विशाल प्रभातफेरी निकलती है, जिसमें कड़कड़ाती ठंड में लाखों श्रद्धालु शामिल होते हैं।
400 साल पुराना है वीर बगीची हनुमान मंदिर
पंचकुइया क्षेत्र की वीर बगीची में स्थित हनुमान मंदिर करीब 400 साल पुराना बताया जाता है। इस मंदिर में स्थापित प्रतिमा खजूर के पेड़ से निकली थी, जिसे बाद में ऊपर लाकर मंदिर में स्थापित किया गया। यह मंदिर अग्नि अखाड़े से संबंधित है। मंदिर से जुड़े कई चमत्कार हैं। लेकिन एक बात तय है कि यहां आने पर व्यक्ति के मन को शांति मिलती है। हनुमान जयंती पर यहां विशेष आयोजन होते हैं। पूजा-अर्चना और महाआरती के साथ ही यहां आयोजित भंडारे में हजारों श्रद्धालु प्रसादी ग्रहण करते हैं।
यहां बाल रूप में हैं हनुमान
खजूरी स्थित श्रीराम भक्त बाल हनुमान मंदिर काफी प्राचीन है। यहां भक्तों की आस्था का आलम यह है कि करीब साढ़े तीन साल तक चोला चढ़ाने वालों के नाम तय हो चुके हैं। यहां बाल भक्त हनुमान की लघु और आकर्षक और मनमोहक प्रतिमा है, जो हाथ जोड़कर खड़ी है। इसके सामने ही श्रीराम दरबार है। मंदिर में 40 साल से निरंतर करीब डेढ़ घंटे आरती होती है। हनुमान जयंती पर यहां अभिषेक के साथ विशेष चोला चढ़ाया जाता है। रात में स्वर्ण श्रृंगार कर जन्म आरती की जाती है।
120 साल पुराना सिद्धेश्वर हनुमान मंदिर
चिडिय़ाघर के सामने स्थित सिद्धेश्वर वीर हनुमान मंदिर करीब 120 साल पुराना बताया जाता है। यहां हर मंगलवार श्रद्धालुओं का तांता लगा रहता है। मंदिर की मूर्ति दिव्य स्वरूप में है और पहली बार में ही भक्त अपलक मूर्ति को निहारने पर बाध्य हो जाता है। हनुमान जयंती पर यहां रुद्राभिषेक, स्वर्ण श्रृंगार और महाआरती होगी।
चमत्कारी दक्षिणमुखी संजीवनी हनुमान
नरसिंह मंदिर, नरसिंह बाजार में स्थित दक्षिणमुखी संजीवनी हनुमान का मंदिर करीब 150 वर्ष पुराना है। 5 फुट ऊंची दक्षिणमुखी प्रतिमा संजीवनी पर्वत धारण किए काफी चमत्कारी है। यहां वर्षभर में करीबन 25 श्रृंगार चोले मूर्ति को धारण कराए जाते हैं।
ओखलेश्वर हनुमानजी
इंदौर से करीब 35 किलोमीटर दूर बाई ग्राम में नवग्रह शनि मंदिर से 18 किलोमीटर आगे स्थित ग्राम ओखला में ओखलेश्वर मठ में हनुमानजी की स्वयंभू प्रतिमा है। ब्रह्मलीन ओंकारप्रसादजी पुरोहित (पारीक बाबा) ने 1976 में यहां अक्षय तृतीया के दिन जो अखंड रामायण पाठ प्रारंभ किया था, वह अब भी जारी है और अनवरत जारी रहेगा। यहां हनुमानजी की प्रतिमा की एक खासियत है कि वे शिवलिंग उठाए हुए हैं जबकि अमूमन वे पर्वतधारी के रूप में ही देखे जाते हैं। मठ पर हर माह रोहिणी नक्षत्र के दिन हनुमानजी को चोला चढ़ाया जाता है। रामनवमी, शिवरात्रि और हनुमान जयंती पर यहां मेले का विशेष आयोजन भी होता है।
विश्वप्रसिद्ध उल्टे हनुमान
अनगिनत भक्तों की मनोकामना पूरी करने वाले और आस्था के प्रतीक संकटमोचक बजरंगबली के देशभर में अनेक ऐसे मंदिर हैं, जो अपनी विशेषताओं के कारण प्रसिद्ध हैं। कोई मंदिर पुरातन इतिहास और परंपरा के कारण जाना जाता है तो कोई मंदिर भक्तों को हुए लाभ की वजह से श्रद्धा का केंद्र बन गया। ऐसा ही सांवेर का एक मंदिर विश्वप्रसिद्ध उल्टे हनुमान के नाम से प्रसिद्ध है। पुराने बायपास के पास खान नदी के किनारे पर पाताल लोक विजयी उल्टे हनुमान की प्रतिमा है। यह प्रतिमा इंदौर-उज्जैन रोड स्थित सांवेर में है। इस मंदिर का निर्माण देवी अहिल्याबाई होलकर की प्रेरणा से महाराजा मल्हारराव होलकर ने करीब 250 पहले करवाया था। उल्टे हनुमान नाम के पीछे एक तथ्य सर्वाधिक प्रचलित है। इसके अनुसार रामायण में उल्लेख है कि रावण के कहने पर अहिरावण श्रीराम व लक्ष्मणजी को छल-कपट से उठाकर पाताल लोक ले गया था तब हनुमानजी सांवेर के रावेर से उल्टे होकर पृथ्वी लोक से पाताल लोक गए थे। तब से इसका नाम उल्टे हनुमान पड़ गया। उल्टे हनुमान की प्रतिमा के नाम से यह विश्वप्रसिद्ध है।