विशेष श्रंखला का प्रकाशन
डिटेक्टिव ग्रुप रिपोर्ट द्वारा अपने पाठकों के लिए एक नई श्रंखला का प्रारंभ किया जा रहा है.... हमारे देश की न ई संसद के बारे में जानकारी नहीं है... और आपके लिए संसद के बारे में जानकारी का प्रकाशन किया जा रहा है... आशा है इसका इसका लाभ हमारे पाठकों को अवश्य मिलेगा... जानकारी का संकलन साभार किया गया है...।
आज की कड़ी में पुरानी संसद के बारे में जानकारी का प्रकाशन है...
- भारतीय लोकतांत्रिक प्रणाली की शक्ति हमारी संसद में प्रकट होती है, जिसने औपनिवेशिक शासन से भारतीय स्वतंत्रता संग्राम को झेला और कई ऐतिहासिक पड़ाव देखे हैं।
- पुरानी संसद भवन के डिजाइन, शिलान्यास और उद्घाटन सभी उस समय के ब्रिटिश शासन से जुड़े वास्तुकार और अधिकारियों ने किए थे।
- मौजूदा भवन ने स्वतंत्र भारत की पहली संसद के रूप में कार्य किया है और भारत के संविधान को अपनाया है। इस प्रकार, संसद भवन की समृद्ध विरासत का संरक्षण और नवीनीकरण किया जाना राष्ट्रीय महत्व का विषय है।
- भारत की लोकतांत्रिक भावना का प्रतीक, संसद भवन सेंट्रल विस्टा के केंद्र में अवस्थित है। ब्रिटिश वास्तुकार सर एडविन लुटियंस और हर्बर्ट बेकर द्वारा डिजाइन की गई भारत की पुरानी संसद भवन
- एक औपनिवेशिक युग की इमारत है, जिसके निर्माण में छह वर्ष (1921-1927) लगे।
- मूल रूप से "हाउस ऑफ पार्लियामेंट" कहे जाने वाले इस इमारत में ब्रिटिश सरकार की विधान परिषद कार्यरत थी।
- अधिक स्थान की मांग को पूरा करने के लिए वर्ष 1956 में संसद भवन में दो और मंजिलें जोड़ी गई।
- भारत की समृद्ध लोकतांत्रिक विरासत के 2,500 वर्षों को प्रदर्शित करने के लिए संसद संग्रहालय को वर्ष 2006 में जोड़ा
गया। - संसद भवन ने दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र में 'राष्ट्रीय चर्चा का मंदिर' के रूप में कार्य किया है। संसद के दोनों सदन स्वतंत्रता के बाद से देश के सामाजिक-आर्थिक विकास का समर्थन करने वाले स्तंभ रहे हैं।
-संकलनकर्ता
एल एन उग्र
पीआरओ