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हरदा

हर साल तिल भर बढ़ता है तिल भांडेश्वर शिवलिंग

  • 14 Jan 2023

50 ग्राम का मिला था, 5 दिन में 5 किलो हो गया
हरदा। हरदा जिले की सिराली तहसील मुख्यालय में स्थित हैं तिल भांडेश्वर महादेव। करीब 200 साल पुराने शिव मंदिर में चमत्कारिक शिवलिंग है। माना जाता है कि ये शिवलिंग हर साल तिल के आकर में बढ़ता है। इसी कारण इस मंदिर का नाम तिल भांडेश्वर महादेव पड़ा। बताया जाता है कि जब ये शिवलिंग मिला था, तब इसका वजन महज 50 ग्राम था। 5 दिनों में ही इसका वजन 5 किलो हो गया। फिर भक्तों की विनती करने पर आकार बढऩा रुका। मकर संक्रांति पर यहां भीड़ उमड़ती है।
ग्रामीण सोमेश अग्रवाल ने बताया कि पूर्वज बताते हैं कि सावन महीने के साथ ही मकर संक्राति पर शिवालय में दर्शनों का विशेष महत्व है। मान्यता है कि जो भी मन्नत यहां मांगी जाती है, भोलेनाथ उसे पूरी करते हैं। गांव के ही बिल्लोरे परिवार के शिव भक्त परसाई जी एक बार अपने एक साथी के साथ अमावस्या पर स्नान के लिए हंडिया स्थित नर्मदा तट पर गए थे। स्नान-पूजन के बाद जब वे घर जाने से पहले नदी किनारे बैठकर आचमन करने लगे, तभी अचानक हाथ में लिए पानी में उन्हें एक शिवलिंग आकार का पत्थर नजर आया।
सोचा। अपने साथ पत्थर को लेकर चल दिए। पत्थर ग्राम डगावाशंकर के पास अचानक हाथ से उछलकर माचक नदी में गिर गया। उन्होंने नदी में उसे बहुत तलाशा, लेकिन नहीं मिला। निराश होकर वे घर लौट आए। उसी रात उन्हें भगवान शिव ने सपने में दर्शन दिए।
भोलेनाथ ने नदी में मिले शिवलिंग की स्थापना करने या फिर उसे वापस वहीं पर नर्मदा नदी में छोड़कर आने की बात कही। यह सुनने के बाद अलसुबह परसाई जी ने बिस्तर छोड़ दिया। उन्होंने सारी बात अपने उसी साथी को बताई। दोनों माचक नदी में उसी स्थान पर पहुंचे, जहां शिवलिंग उनके हाथों से गिरा था। उन्होंने तलाशा, तो उसी जगह पर शिवलिंग मिल गया। यह देख वे हैरान हुए।
रोज बढ़ता था आकार
उन्होंने वहीं पर एक छोटी सी कुटिया का निर्माण करवाकर शिवलिंग की स्थापना कर दी। समय बीतता गया। इस दौरान लोगों को प्रतीत हुआ कि शिवलिंग का आकार बढ़ रहा है। रोज आकार बढ़ता देख परसाई जी ने शिव आराधना की। भगवान से प्रार्थना की कि इस प्रकार से आकार नहीं बढ़ाएं। उन्होंने विनती की कि- मेरे साथ ही ग्रामीणों का इतना सामथ्र्य नहीं है कि आपके इस विराट रूप को हम बड़ा स्थान दें सकें। इसके बाद शिवलिंग हर साल मकर संक्रांति पर ही तिल के बराबर बढऩे लगा। गांव के शिवकांत बिल्लोरे ने बताया कि गांव के लोगों द्वारा हर सोमवार को यहां विधि विधान से भगवान तिल भांडेश्वर का पूजन अभिषेक किया जाता है।
भक्तों का कहना है कि हर शिवरात्रि पर यहां होने वाले अभिषेक पूजन के दौरान शिवलिंग को रेशम की डोर बांधी जाती है, लेकिन जब उस डोर के अगले साल फिर से बांधी जाती है, तो वह छोटी पड़ जाती है। इसी तरह शिवलिंग के ऊपर के वस्त्र भी छोटे पड़ जाते हैं।
हर साल तिल के आकार में बढ़ता है शिवलिंग
मंदिर के पुजारी मोहनपुरी गोस्वामी का कहना है कि जब मंदिर में शिवलिंग की स्थापना की गई थी, तब उसका वजन मात्र 50 ग्राम था, लेकिन अगले पांच दिनों में ही शिवलिंग पांच किलो का हो गया था। जिसके बाद गांव के भक्तों ने भोलेनाथ से प्रार्थना की हमारे पास इतना सामथ्र्य एवं स्थान नहीं है कि आपके इतने विशाल रूप का संभाल सके। शिव शंकर से हर साल तिल के समान ही रूप बढ़ाने की विनती की। जिसके बाद से यह शिवलिंग हर साल तिल के आकार में ही आकर बढ़ा रहा है।